वक्फ संशोधन अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले केंद्र सरकार ने दायर की कैविएट, एकतरफा आदेश से बचाव की मांग

नई दिल्ली – वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 को सुप्रीम कोर्ट में दी गई कानूनी चुनौती के बीच केंद्र सरकार ने एहतियातन सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दायर कर दी है। यह कदम एकतरफा आदेश (एक्स-पार्टी ऑर्डर) की आशंका से बचने के लिए उठाया गया है। केंद्र ने अदालत से आग्रह किया है कि किसी भी याचिका पर निर्णय लेने से पहले सरकार का पक्ष अवश्य सुना जाए।

अब तक वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 15 याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं, जिन पर 15 अप्रैल, 2025 को सुनवाई होने की संभावना है। इन याचिकाओं में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया की याचिका प्रमुख है।

केंद्र सरकार की ओर से दायर यह कैविएट वक्फ कानून में हालिया संशोधनों के विरुद्ध दायर याचिकाओं के संदर्भ में सरकार की पहली औपचारिक प्रतिक्रिया मानी जा रही है। इस प्रक्रिया के तहत सरकार ने अदालत को सूचित किया है कि जब तक उसे सुना न जाए, कोई भी अंतरिम आदेश पारित न किया जाए।

कानूनी दृष्टिकोण से कैविएट एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो अदालत को यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य करती है कि किसी भी अंतरिम राहत या आदेश के पूर्व संबंधित पक्ष को सुनवाई का अवसर मिले। केंद्र सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि वह इस मामले में एक प्रमुख पक्ष है और उसका पक्ष सुने बिना कोई आदेश पारित नहीं किया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट में इस संवेदनशील मामले पर आगामी सुनवाई राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी अहम मानी जा रही है, क्योंकि वक्फ अधिनियम में बदलावों को लेकर विभिन्न समुदायों और संगठनों में मतभेद देखने को मिल रहे हैं।

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