ग्रोक एआई पर बढ़ता विवाद: सरकार की जांच और सेंसरशिप पर विशेषज्ञों की चेतावनी
नई दिल्ली। एलन मस्क की कंपनी xAI के एआई चैटबॉट ग्रोक के विवादास्पद जवाबों को लेकर भारत में बहस तेज हो गई है। केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय (आईटी मंत्रालय) ने ग्रोक की प्रतिक्रियाओं की जांच शुरू कर दी है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि जल्दबाजी में उठाए गए नियामक कदम सेंसरशिप को बढ़ावा दे सकते हैं और नवाचार को बाधित कर सकते हैं।
ग्रोक के उपयोगकर्ताओं ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर इसे लेकर सवाल उठाए हैं, खासकर यह जानने की कोशिश की है कि भारत में ग्रोक पर प्रतिबंध कब लगेगा? फरवरी में xAI द्वारा ग्रोक 3 को निःशुल्क उपलब्ध कराने की घोषणा के बाद, इसका उपयोग तेजी से बढ़ा, लेकिन साथ ही यह विवादों में भी घिर गया।
ग्रोक के जवाबों पर विवाद क्यों?
ग्रोक को अपनी बिना फ़िल्टर वाली, नुकीली भाषा के लिए जाना जाता है। जब उपयोगकर्ताओं ने इसे हिंदी स्लैंग और महिला विरोधी गालियों से जुड़े प्रश्न पूछे, तो चैटबॉट ने भी इसी प्रकार की भाषा में जवाब दिए। इसके अलावा, ग्रोक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और अन्य राजनीतिक हस्तियों से जुड़े संवेदनशील सवालों पर भी जवाब दिए, जिससे विवाद और बढ़ गया।
आईटी मंत्रालय की जांच और विशेषज्ञों की चेतावनी
आईटी मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, “हम (एक्स) से संपर्क में हैं और यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि ऐसा क्यों हो रहा है और क्या मुद्दे हैं। वे हमारे साथ बातचीत कर रहे हैं।”
हालांकि, तकनीकी नीति विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार की जल्दबाजी में की गई कार्रवाई से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और नवाचार पर असर पड़ सकता है। सेंटर फॉर इंटरनेट एंड सोसाइटी (CIS) के सह-संस्थापक प्रणेश प्रकाश ने कहा, “आईटी मंत्रालय का काम यह सुनिश्चित करना नहीं है कि सभी भारतीय या सभी मशीनें संसदीय भाषा का उपयोग करें।”
यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है और क्या ग्रोक के जवाबों को नियंत्रित करने के लिए कोई नई नीति बनाई जाती है या नहीं।